सच और झूट
समझौता कर के मत चलियो बात मेरी तू मान ले सच की गागर को मत तजियो गाँठ हृदय में बांध ले पाखंड झूट का बड़ा सबल आडंबर उसका है हसीन उसके चुंगल में मत फँसियो उस छलिया को पहचान ले जहां झूठ झूम कर चलता हो और सच कौने में काँपे थर थर ऐसे जग में तू मत बसियो मन में तू ये ठान ले दुनिया का सच और तेरा सच कई बार सिरों को खींचेगा अपने सच से तू मत हटियो संकल्प तू मन में आज ले हो नर्म झूट और सक्थ हो सच हो मीठा झूट पर कड़व...