बहता हुआ पानी - Deepak Salwan
बहता हुआ पानी
बहते हुए पानी सा है यह समां,
ना थमता है ना रुकता है यह कहीं
कई लम्हे डूबे हुए रहते हैं इसमें,
अभी अभी होते हैं यहाँ तो अभी कहीं नहीं,
कभी शोर-ओ-गुल है ज़िन्दगी का तो हैं कभी तन्हाईयाँ,
कभी साथ होता है कोई तो कभी रह जाती हैं परछाइयां,
कभी चमकता हुआ कोई दिन होता है, होती हैं कितनी बातें
और कभी चुप सी तनहा गुज़रती हैं कितनी रातें
कभी खंडर से दिखते हैं घर जो थे कभी आबाद,
कभी हम बनते हैं यादें तो कभी सताती है किसी की याद,
कभी हाथ डालो इस पानी में तो मिलता है सोना खरा ,
और कभी अधूरी ख्वाहिशों से दिल रहता है भरा,
कभी होता है सब पास हमारे और कभी खाली से हाथों में कुछ नहीं
बहते हुए पानी सा यह समां, ना रुकता है ना थमता है कहीं
Wow Deepak. Very beautifully expressed… feelings and reality that we all have felt ..many a times. Loved it
ReplyDelete🙏 thanks for your kind words Atul
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