इरादा

एक इरादा जल उठा तो

सौ रास्ते जगमग हुए

एक संकल्प की गूंज से

द्वार सौ खुलने लगे 


काँटों का बस ना चला

लहुलुहान होकर भी पग चले

बिजलियों की छाँव में भी

परिंदों ने पर फैला दीये 


खिच गई तलवार जब

दुश्मनों के सर झुके

अंगार आँखों में सजा तो

संकट पीछे हटने लगे


एक इरादा जल उठा तो

सौ रास्ते जगमग हुए


होने का घायल गम ना था

जुनून किसी तर कम ना था

मैदान में उतरे थे यूँ

के लौटना अब मुमकिन ना था


एक इरादा जल उठा तो

सौ रास्ते जगमग हुए


डूब कर उबरे थे वो

हो कर के भस्म निखरे थे वो

ऊँचाई आसमान की थी बहुत

पा हौसले कमतर ना थे


जब बाजूएँ थकने लगीं 

आँधी साँसों की थमने लगी

हुंकार भर संकल्प की

हर बार वो जीवंत हुए


एक इरादा जल उठा तो

सौ रास्ते जगमग हुए


इंसान को डरा सकते हो तुम

ख़ुदा को समझा सकते हो तुम

संकल्प गर जो बंध गया तो

उसको हिला सकते नहीं!!

Comments

Popular posts from this blog

Maher - By Nayana Gadkari

The Girl, The City and The Marathon - By Nayana Gadkari

Shut up and sing!