लाल जन्नत - Deepak Salwan

 

लाल जन्नत

ऐ खुदा आज तो तेरी जन्नत का भी रंग लाल होगा

तेरे दर पे खून से रँगे कुछ नन्हे फ़रिश्ते आये हैं,

 

इंसान को बनाने का तो आज तुझे भी कुछ मलाल होगा,

ज़मीन पे आ और मंजर तो देख उस मक़्तल का,

महसूस कर सूनापन एक रोती हुई माँ की गोद का, 

अपने अरमानो को दफन करते हुए सोच एक बाप का क्या हाल होगा,

 

आज तो तू भी चाहता होगा के तेरा वजूद ही ख़तम हो जाये,

आज तो खुदाई भी शर्मिंदा होगी देख के इंसानियत को,

आज किस दर पे तू सर झुकायेगा देख के इस हैवानियत को,

 

तू कहाँ था, तेरी खुदाई कहाँ थी जब मक़तूल हुए थे मासूम कुछ ,

तेरे सजदे में झुके हर इंसान के ज़ेहन में यह सवाल होगा,

तेरे दर पे खून से रँगे कुछ नन्हे फरिश्ते आये हैं,

ऐ खुदा आज तो तेरी जन्नत का भी रंग लाल होगा.



मक़्तल - Place of Slaughter

मलाल - Remorse

मक़तूल - Those who are slaughtered

ज़ेहन - Mind


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