परमात्मा - संतोष कुमार गुप्ता


मेहो के गर्जन मेँ तुम हो, 

गीतों के सर्जन मेँ  तुम ही, 

हो तुम ही संसार,और तुम्ही हो,

हर माँ के दिल का प्यार !!


पुष्प तुम हो, सौरभ भी तुम ही, 

हो तुम्ही मकरंद, 

भक्ति रस पूरित ह्रदय के, 

हो तुम्ही आनंद |


राग तुम हो, रंग तुम हो, 

हो तुम्ही सब जंग, 

संघर्षपूर्ण जीवन के तुम ही, 

हो विजय-प्रसंग |

                      संतोषानंद

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